आज है अवकाश सबका
पर्व के उपलक्ष्य में
पर न दिखता आज किञ्चित
भी न कोई पक्ष में
कर सभी लेते इसे स्वीकार
आज जाने कौन सा त्योहार
हाँ पता तो है कि पावन पर्व है
हर किसी को इस दिवस पर गर्व है
पर नहीं उल्लास का आभास
चेहरे पर कहीं
हो सजा आँगन ,गली , बाज़ार
ऐसा भी नहीं
और न बदला है तनिक व्यवहार
आज जाने कौन सा त्योहार
आज ही के दिन हुए आज़ाद थे हम
मुक्त और स्वच्छंद वर्षों बाद थे हम
उस दिवस शायद कोई उत्सव हुआ था
वो दिवस सच में कोई त्योहार ही था
पर ग्रहण होता न इसका सार
आज जाने कौन सा त्योहार
अब किसी की भी शहादत
याद भी तो है नहीं
कौन अब आँसू बहाये
वक़्त भी तो है नहीं
हमने तो ख़ैरात में
पायी है आज़ादी सुनो
मुफ्त में मिल जाए
ऐसी चीज़ की भी
कोई कीमत है कहीं
कौन जाने माँ की वो चीत्कार
आज जाने कौन सा त्योहार
स्वर्ण अक्षर में हुआ अंकित
वो दिन पंद्रह अगस्त
मुक्त था भारत , खुशी
हो सकती न शब्दों में व्यक्त
क्या रहा न मातृ –भू से प्यार
आज जाने कौन सा त्योहार ...
0 प्रतिक्रियाएँ:
एक टिप्पणी भेजें