कोई उम्मीद की
छोटी किरण
दिखती है मुझको
आज आँगन में
किसी पंछी के कोई
गीत गूँजे
आज इस वन में
न जाने कब से
सूना था जो आँगन
आज महका है
कोई भँवरा भी
इसकी ओर देखो
आज बहका है.....
वो फिर से हो
रही है उर्वरा
धरती जो बंजर थी
जहां कल तक
किसी भी मेघ की
होती नज़र न थी..........
कहीं बदलाव सा
मैं देखता हूँ
आज जीवन में
कोई उम्मीद की छोटी किरण
दिखती है मुझको
आज आँगन में .......
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